मध्यप्रदेश में वर्ष 1988 में एच.आई.वी. का पहला मामला प्रतिवेदित हुआ था।समस्या की गंभीरता को देखते हुए म.प्र. शासन ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत 1992 में एड्स सेल का गठन किया था।इसके पश्चात् 14/07/1998 को म.प्र.राज्यएड्स नियंत्रण समिति का गठन किया गया। म.प्र. में एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए म.प्र.राज्य एड्स नियंत्रण समिति नीतिगत निर्णय लेती है। इसे राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन भारत सरकार द्वारा शत प्रतिशत वित्त पोषित किया जाता है।

वर्तमान में म.प्र.राज्य एड्स नियंत्रण समिति लोकस्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तहत कार्य कर रही है।प्रदेश के सभी 52 जिलों में एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के विभिन्न घटकों को जिलाचिकित्सालय /चिकित्सा महाविद्यालय / अन्य स्वास्थ्य संस्थाएं एवं एन.जी.ओ. के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश एक कम प्रिवलेंस वाला राज्य है एवं निरंतर इसमें कमी परिलक्षित हो रही है लेकिन पडोसी राज्य जैसे महाराष्ट, गुजरात आदि ज्यादा प्रिवलेंस वाले राज्य होने के कारण इन राज्यों से होने वाले प्रवास एवं अन्य सामाजिक सांस्कृतिक संबंधों के कारण संक्रमण की सतत्निगरानी की जाती है।

उद्देश्य
 
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्य क्रम चरण 4 भारत सरकार द्वारा तैयार किया गया था जिसके दो मुख्य उद्देश्य हैं
1.भारत में एच.आई.वी. केप्रसार को कम करना
2. दीर्घकालिकआधार पर एच.आई.वी./एड्स की चुनौती से निपटने के लिए भारत की क्षमता को बढ़ाना।
 
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम केनिम्नलिखित पाच मुख्यघटक हैंः-
 
1.लक्ष्यगत हस्तक्षेप-एस.टी.डी. नियंत्रण और कंडोम संवर्धन द्वारा उच्च जोखिम समुदाय के बीच एच.आई.वी. संचरण को कम करना।
2. रक्तजनितसंचरण - आई.ई.सी. और स्वैच्छिकपरामर्श और परीक्षण के माध्यम से सामान्य जनसंख्या के मध्यएच.आई.वी. के प्रसार को कम करना।
3. उपयुक्त संगठनात्क व्यवस्था की स्थापना, प्रशिक्षण एवं समय पर विश्वसनीय जानकारी के माध्यम से एच.आई.वी. के प्रसार को कम करना।
4. एच.आई.वी./एड्स के साथ जी रहे लोगों के लिए कमलागत की देखभाल क्षमता विकसित करना।
5. सार्वजनिक, निजी एवं स्वैच्छिक क्षेत्रों के मध्यअंतर-संबंध स्थापित करना।